बदलते मौसम में बीमार पड़ने का बढ़ा खतरा, जानिये पढ़िए पूरी खबर।

बीते कुछ दिनों से तापमान में बदलाव दिख रहा है। सुबह-शाम ठंड का एहसास होने लगा है। बीते सोमवार को हुई बारिश के कारण पारा और भी लुढ़क गया है। ऐसे बदलते मौसम में बीमार पड़ने की भी आशंका ज्यादा रहती है। जरा सी लापरवाही सर्दी, खांसी, बुखार सहित अन्य बीमारियों को न्यौता दे सकती है।
गांधी शताब्दी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. प्रवीण पंवार का कहना है कि तापमान में आ रहे बदलाव के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। इस दौरान बुखार, खांसी व जुकाम के मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है।
सर्दी का मौसम वायरस-बैक्टीरिया के पनपने के लिए मुफीद होता है। यह व्यक्ति की तबीयत नासाज करने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करते हैं। ऐसे में बच्चे और बुजुर्ग बीमार पड़ सकते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए सलाह है कि हल्के गर्म कपड़े पहनकर रखें। खानपान का विशेष ध्यान दें। कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम आदि के सेवन से बचें। गुनगुना पानी पिएं।

बच्चों को लेकर रहें सचेत:- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रायपुर के चिकित्सा अधीक्षक एवं वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. पीएस रावत के अनुसार बच्चे मौसम में होने वाले त्वरित बदलावों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते। यही कारण है कि इस मौसम में वह जल्दी बीमार पड़ते हैं। ऐसे में बच्चों के खानपान व पहनावे पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बच्चों को ठंडे पानी से न नहलाएं। गुनगुना पानी पिलाएं। खुले बदन न सुलाएं। रात में ठंड लगने पर चादर से ढक दें। तबीयत खराब होने पर चिकित्सक की सलाह से तुरंत दवा लें।

ये बरतें सावधानी
इस मौसम में संक्रमण का खतरा होता है। ऐसे में पहनावे पर खास ध्यान दें।
खान-पान पर ध्यान देने की जरूरत है। पौष्टिक आहार लेना चाहिए, इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
ठंडे पदार्थों का सेवन भी कई बार वायरल बुखार का कारण बन जाता है।
अगर सिर दर्द या बुखार महसूस हो तो अपनी मर्जी से दवा न लें। विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लें।
सुबह की सैर के साथ योग भी अच्छा व्यायाम होता है। बदलते मौसम में नियमित योग करना चाहिए।
डायबिटीज और बीपी के मरीज बरतें सावधानी:- पारा लुढ़कने पर रक्तचाप और डायबिटीज अनियंत्रित हो जाता है। सबसे ज्यादा ब्रेन हैमरेज और हार्ट अटैक सर्दियों में ही होते हैं। ऐसे में बीपी और शुगर के मरीजों को चिकित्सक से सलाह जरूर लेनी चाहिए। इसके अलावा जोड़ों में दर्द आदि की भी समस्या होती है। दमा के मरीजों को भी सांस में तकलीफ बढ़ सकती है।