सूरज की तपिश से नल सूखे…..

सूरज की तपिश बढ़ने के साथ ही प्रदेश में पेयजल संकट भी बढ़ने लगा है। अप्रैल के मुकाबले मई में आने वाली पेयजल संबंधित शिकायतों में इजाफा हुआ है। रोजाना पेयजल से संबंधित 126 शिकायतें आ रही हैं। जबकि जल संस्थान पेयजल संबंधी सभी शिकायतों का समाधान करने के प्रयास में जुटा है। इसके बावजूद शिकायतों में अंकुश नहीं लग पा रहा।

गर्मी बढ़ने के साथ प्रदेश में पेयजल संकट गहराने लगा है। प्राकृतिक जल स्रोतों के साथ नलकूपों का जलस्तर घटने लगा है। ऐसे में उपभोक्ताओं को पानी की पर्याप्त सप्लाई देना जल संस्थान के लिए चुनौती बनता जा रहा है। प्रदेश में जल संस्थान की 35 शाखाएं हैं।

673 शिकायतें पेंडिंग:- अप्रैल में प्रदेशभर से पेयजल संबंधित 3,026 शिकायतें विभाग के कंट्रोल रूम में दर्ज हुई थी। जिसमें 2,353 शिकायतों का निस्तारण किया गया, जबकि 673 शिकायतें पेंडिंग हैं।
हालांकि, बाद में विभाग ने कई शिकायतों का समाधान कराया। लेकिन एक से 15 मई के बीच कंट्रोल रूम में 1,894 पेयजल संबंधित शिकायतें दर्ज हुई। जिसमें 1,110 शिकायतों का समाधान हुआ और 784 शिकायतें अब भी पेंडिंग हैं। शिकायतों की संख्या बढ़ने से साफ है कि आने वाले दिनों में बारिश न होने तक पेयजल संकट गहराता रहेगा।

राजधानी में पानी न आने की सबसे अधिक शिकायतें:- पानी न आने की सबसे अधिक शिकायतें राजधानी देहरादून से आ रही हैँ। जबकि पेयजल का मुख्यालय और आधुनिक संसाधन राजधानी में ही मौजूद है। इसके बावजूद शिकायतों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। अप्रैल में राजधानी की उत्तरी जल संस्थान शाखा में 353 शिकायतें दर्ज हुई। जबकि मई में 15 दिनों के भीतर यहां शिकायतों की संख्या 199 पहुंच गई।

वहीं, दक्षिणी जल संस्थान शाखा में अप्रैल में 300 शिकायतें दर्ज हुई। जबकि मई में 15 दिनों के भीतर यहां 234 शिकायत आईं। इसके अलावा पित्थूवाला जल संस्थान शाखा में अप्रैल में 278 शिकायतें दर्ज हुई और मई में 152 शिकायत मिली। अनुरक्षण खंड शाखा में अप्रैल में 158 शिकायतें आई और मई में 138 शिकायतें दर्ज हुई। इसके अलावा हल्द्वानी में 135 और पौड़ी में 130 शिकायत अप्रैल में दर्ज हुई।