मई में मैदानी जिलों में धरती प्यासी, पहाड़ों में भी कम वर्षा…

यह ग्रीष्मकाल जनजीवन पर भारी पड़ रहा है। उत्तराखंड में भी इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण मेघों की बेरुखी रही। अप्रैल के बाद मई में भी प्रदेश में सामान्य से 21 प्रतिशत कम वर्षा हुई। साथ ही मैदानी इलाके इस बार पूरे माह सूखे रखे। हरिद्वार में एक बूंद बारिश दर्ज नहीं की गई।
जबकि, देहरादून और ऊधमसिंह नगर में भी वर्षा न के बराबर हुई। पर्वतीय जिलों में अल्मोड़ा और बागेश्वर को छोड़कर अन्य में भी कम बारिश रिकार्ड की गई। इसके साथ ही अब तक इस ग्रीष्मकाल में अब तक सामान्य से 19 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। ऐसे में पारा तेजी से चढ़ा और मैदानी क्षेत्रों में औसत तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा।

अप्रैल और मई में बादलों की नाराजगी:- मार्च में ग्रीष्मकाल की शुरुआत कुछ राहत देने वाली रही थी, लेकिन अब अप्रैल और मई में बादलों की नाराजगी बनी रही। मार्च में प्रदेश में सामान्य से 29 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई थी, लेकिन अप्रैल में मेघ सामान्य से 46 प्रतिशत कम बरसे। इसके बाद मई में भी सामान्य से 21 प्रतिशत कम वर्षा हुई। पूरे माह ज्यादातर दिन अधिकतम तापमान सामान्य से चार से सात डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
साथ ही अंतिम एक सप्ताह में सूरज के तेवर और तल्ख होने से पारा रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। जून की शुरुआत में भी भीषण गर्मी की आशंका जताई जा रही है। इस वर्ष ग्रीष्मकाल में एक मार्च से 31 मई तक प्रदेश में 128 मिमी वर्षा हुई है। जो कि सामान्य वर्षा 159 मिमी से 19 प्रतिशत कम है।

मई में पहली बार 10 दिन 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान:- प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में आसमान से आग बरस रही है। लगातार तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। खासकर दून में पारा रिकार्ड स्तर पर पहुंचा है। वर्ष 2012 के बाद यह पहला मौका है जब दून का अधिकतम तापमान मई में 10 दिन 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया।

ग्रीष्मकाल में प्रदेश में वर्षा की स्थिति
जनपद, वास्तविक, सामान्य , अंतर
हरिद्वार, 00, 29, -100
देहरादून, 09, 57, -83
ऊधमसिंह नगर, 7.1, 37, -81
पौड़ी, 9.2, 33, -73
नैनीताल, 34, 72, -53
टिहरी गढ़वाल, 30, 50, -40
चंपावत, 36, 51, -31
औसत, 51, 65, -21
पिथौरागढ़, 94, 113, -17
रुद्रप्रयाग, 91, 106, -14
उत्तरकाशी, 66, 70, -7
चमोली, 64, 65, -1
अल्मोड़ा, 62, 50, 24
बागेश्वर, 117, 50, 133

ग्रीष्मकाल में वर्षा की स्थिति
मार्च में 29 प्रतिशत अधिक वर्षा
अप्रैल में 46 प्रतिशत कम वर्षा
मई में 19 प्रतिशत कम वर्षा

शीतकाल में वर्षा की स्थिति
अक्टूबर में 35 प्रतिशत कम वर्षा
नवंबर में 43 प्रतिशत कम वर्षा
दिसंबर में 90 प्रतिशत कम वर्षा
जनवरी में 99 प्रतिशत कम वर्षा
फरवरी में 17 प्रतिशत कम वर्षा