मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय परियोजनाओं के लिए मांगी विशेष सहायता…

16वें वित्त आयोग में केंद्र से मिलने वाले अनुदान के लिए ठोस पैरवी के बाद अब केंद्रपोषित योजनाओं में हिमालयी राज्य की कठिनाइयों के समाधान को विशेष सहायता को नीति आयोग में ठोस पैरवी की। पर्वतीय क्षेत्रों में एप्पल मिशन, कीवी मिशन, मिलेट मिशन समेत कई हाई वैल्यू एग्रीकल्चर को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
ऐसे में इन क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था मजबूत करना आवश्यक है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को नीति आयोग की शासी परिषद की 10वीं बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र का मात्र 10 प्रतिशत भू-भाग ही सिंचित हो पा रहा है। उन्होंने पीएम कृषि सिंचाई योजना में लिफ्ट इरिगेशन को सम्मिलित करने का अनुरोध किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य में तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते शहरों में ड्रेनेज की समस्या एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। उन्होंने अनुरोध किया कि इस समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टिकाऊ ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए विशेष योजना बनाई जाए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हिमनद आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ने को नदी जोड़ो परियोजना के साथ चेक डैम और लघु जलाशयों का निर्माण किया जा रहा है। इससे वर्षा जल को संरक्षित किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की जीडीपी में प्राथमिक सेक्टर का योगदान जहां मात्र 9.3 प्रतिशत है। वहीं, इस कार्य में लगभग 45 प्रतिशत आबादी लगी है। इस समस्या को देखते हुए लो वैल्यू एग्रीकल्चर के स्थान पर हाई वैल्यू एग्रीकल्चर अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। राज्य में एप्पल मिशन, कीवी मिशन, ड्रैगन फ्रूट मिशन, मिलेट मिशन तथा सगंध कृषि की परियोजनाएं प्रारंभ की गई हैं।

मां नंदा राजजात यात्रा और कुंभ के लिए मांगी विशेष सहायता:- मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2026 में उत्तराखंड में पर्वतीय महाकुंभ के रूप में प्रसिद्ध मां नंदा राजजात यात्रा और वर्ष 2027 में हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होना है। इन दोनों आयोजनों को भव्य एवं दिव्य बनाने के लिए उन्होंने केंद्र से सहयोग मांगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में डेमोग्राफिक डिविडेंड की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस लाभ को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित समय सीमा में इसका दोहन करना आवश्यक है। इस दृष्टि से आने वाले दस वर्ष हमारे प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन्हीं वर्षों में हम डेमोग्राफिक डिविडेंड का सर्वाधिक लाभ उठा सकते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य में विशेषरूप से स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य किए जा रहे हैं।

जियोथर्मल ऊर्जा नीति कर रहे क्रियान्वित:- मुख्यमंत्री ने कहा कि सतत एवं समावेशी विकास पर विशेष ध्यान देते हुए जीडीपी की तर्ज पर जीईपी अर्थात ग्रोस एनवायरमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स जारी करने की शुरुआत की है। इस आकलन से अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के मध्य बेहतर सामंजस्य स्थापित हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जियोथर्मल ऊर्जा नीति शीघ्र लागू की जाएगी।