यूपी सरकार की तरह उज्जैन में भी दुकानों के आगे नाम लिखने का आदेश जारी…

अब मध्यप्रदेश में भी यूपी की सरकार जैसा आदेश जारी हुआ है। भाजपा शासित उज्जैन नगर निगम ने दुकानदारों को प्राचीन शहर में अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपने नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है।

यूपी की तरह दुकान के बाहर नाम लिखना होगा:- यह निर्देश उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के लिए इसी तरह के आदेश के बाद आया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, उज्जैन के मेयर मुकेश टटवाल ने कहा कि उज्जैन की महापौर परिषद ने 26 सितंबर 2002 को दुकानदारों को अपना नाम प्रदर्शित (Nameplate Controversy) करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, उसके बाद निगम सदन ने इसे मंजूरी दी और बाद में आपत्तियों और औपचारिकताओं के लिए राज्य सरकार को भेजा था, जो अब लागू हुआ।

नहीं तो लगेगा ये जुर्माना…:- उज्जैन के मेयर मुकेश टटवाल ने शनिवार को कहा कि उल्लंघन करने वालों को पहली बार अपराध करने पर 2000 रुपये और दूसरी बार इस आदेश की अवहेलना करने पर 5000 रुपये का जुर्माना देना होगा।

मुस्लिम दुकानदारों को निशाना नहीं बना रहे:- मेयर ने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है और इसका उद्देश्य मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाना नहीं है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का गृहनगर उज्जैन अपने पवित्र महाकाल मंदिर के लिए जाना जाता है, जो दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करता है, खासकर सावन महीने के दौरान, जो सोमवार से शुरू होता है।
मेयर ने आगे कहा, उज्जैन एक धार्मिक और पवित्र शहर है। लोग यहां धार्मिक आस्था के साथ आते हैं। उन्हें उस दुकानदार के बारे में जानने का अधिकार है जिसकी सेवाएं वे ले रहे हैं। अगर कोई ग्राहक असंतुष्ट है या उसके साथ धोखा हुआ है, तो दुकानदार का विवरण जानने से उन्हें निवारण की मांग करने का मौका मिलता है।

यूपी सरकार ने दिया है यह आदेश:- बता दें कि यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश में हाल ही में जारी किए गए निर्देश की तरह ही है, जहां कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को इस आदेश को पूरे राज्य में लागू कर दिया, जबकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनके राज्य में भी इसी तरह के निर्देश पहले से ही लागू हैं।
इस आदेश की विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ सदस्यों ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह मुस्लिम व्यापारियों को लक्षित करता है।