कांवड़ मेले में प्रतिदिन लाखों कांवड़ तीर्थ यात्री महादेव के अभिषेक को गंगाजल लेकर वापसी कर रहे हैं, जितनी संख्या में वह वापसी कर रहे हैं, उससे अधिक संख्या में नए कांवड़ तीर्थ यात्री गंगाजल लेने को हरिद्वार पहुंच रहे हैं।
इसके चलते धर्मनगरी पूरी तरह केसरिया रंग में रंग गयी है। हरकी पैड़ी, भीमगौड़ा, खड़खड़ी और तमाम घाटों पर हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए कांवड़ तीर्थ यात्री ही नजर आ रहे हैं।
पंचक की समाप्ति के बाद इनके आगमन और वापसी के क्रम में और तेजी आएगी, जो महाशिवरात्रि को जलाभिषेक तक बढ़ती ही जाएगी। दो अगस्त दोपहर में जलाभिषेक का मुर्हत होने के चलते अधिकांश पैदल कांवड़ यात्री इससे एक दिन पूर्व ही अपने गंतव्यों की और रवाना हो जाएंगे, जबकि डाक कांवड़ का सिलसिला अंतिम दिन तक चलता रहेगा।
इनकी व्यवस्था में एसएसपी प्रेमेंद्र सिंह डोबाल के नेतृत्व में पुलिस, पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स का पूरा अमला सड़कों पर पसीना बहा रहा है। कांवड़ मेले का अंतिम दौर नजदीक आने के साथ ही पुलिस प्रशासन ने डायवर्जन प्लान भी लागू कर दिया है। निर्धारित प्लान के मुताबिक ही वाहन हाईवे पर शहर में आ जा सकेंगे। रोडवेज की बसों के लिए भी अलग व्यवस्था की गई है।
डाक कांवड़ से बढ़ जाती है रौनक:- हरिद्वार में कांवड़ यात्रा का रंग चढ़ने लगा है। शनिवार को पंचक का अंतिम दिन था, इसलिए डाक कांवड़ का आना आरंभ हो गया। इसके साथ ही अब पैदल कांवड़ तीर्थ यात्रियों की संख्या में कमी आ जाएगी। कांवड़ मेला के अंतिम तीन दिनों में मोटरसाइकिल से आने वाली डाक कांवड़ से रौनक पैदा हो जाती है।
दौड़ती कांवड़ सबके आकर्षण केंद्र रहेगी। इसमें कांवड़ यात्रियों का समूह गंगाजल लेकर दौड़ते हुए अपने-अपने गंतव्यों के लिए रवाना होता है। उनके साथी मोटरसाइकिल पर आगे-आगे चलते हैं और निश्चित दूरी पर गंगाजली बदलते हुए आगे का सफर तय करते हैं।
धर्मनगरी में हरकी पैड़ी सहित सभी गंगा घाटों, बाजारों, आश्रमों, धर्मशालाओं, होटल आदि सभी जगहों पर पैरों में घुंघरू बांधे बम-बम भोले की जय-जयकार करते केसरिया धारण किए शिवभक्तों की टोली आम जनता में आस्था और विश्वास का संचार कर रही है। पल-पल रंग बदलते मौसम भी कांवड़ तीर्थ यात्रियों का उत्साह बना हुआ है।
मुख्य रूप से तकरीबन तेरह दिनों तक चलने वाली इस धार्मिक यात्रा में कांवड़ यात्रियों को कुछ परेशानी भी उठानी पड़ती है पर, किसी को भी भूखे पेट नहीं रहना पड़ता है। कांवड़ यात्रियों की सेवा को सरकार, प्रशासन के साथ-साथ हरिद्वार से लेकर उनके गंतव्य तक के पूरे रास्ते पर विभिन्न सामाजिक, धार्मिक संगठनों की ओर से निश्शुल्क भंडारे, विश्राम और जलसेवा का आयोजन किया गया है।
इसके साथ ही उनकी सुरक्षा और चिकित्सा सेवा के लिए ठोस प्रबंध किए गए हैं। जो पूरे श्रावण मास तक चलेगा। हरकी पैड़ी की प्रबंधकार्यकारिणी संस्था श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम और महामंत्री तन्मय वशिष्ठ बताते हैं कि धार्मिक यात्रा और मेले हमारी संस्कृति के संवाहक हैं। इनमें हमारी सनातन संस्कृति के दर्शन होते हैं।
बताया कि जैसे-जैसे कांवड़ मेले का विस्तार हुआ है, वैसे-वैसे भंडारे लगाने को भी विस्तार हुआ है। कांवड़ यात्रा आरंभ में कुछ हजार यात्रियों तक ही सीमित हुआ करती थी पर, देखते ही देखते पिछले करीब दस वर्षों में यात्रा के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास में इस कदर बढ़ोतरी हुई कि अब यह संख्या कई करोड़ तक पहुंच गई। अब तो यह कुंभ का आकार लेने लगा है। इस बार पांच करोड़ से अधिक कांवड़ यात्रियों के आने का अनुमान है।