उत्तराखंड में मानसून की वर्षा से बीते करीब एक माह में नदियों का जलस्तर बढ़ने से बिजली उत्पादन को ऊर्जा मिली है। इसके साथ ही धीरे-धीरे बिजली की खपत में भी गिरावट आने लगी है। ऐसे में प्रदेश में बिजली की मांग के सापेक्ष उपलब्धता होने से आपूर्ति भी सामान्य बनी हुई है।
ऊर्जा निगम ने भी इस दौरान सर्दियों में उधार ली गई बिजली को लौटाना शुरू कर दिया है। बैंकिंग के तहत इन दिनों दिल्ली, कलकत्ता और हिमाचल प्रदेश को बैंकिंग के तहत बिजली लौटाई जा रही है। आगामी सर्दियों में मांग बढ़ने पर फिर बैंकिंग के तहत अन्य राज्यों से बिजली उधार ली जाएगी।
अप्रैल और मई में उत्तर प्रदेश ऊर्जा निगम को लौटाई गई थी बिजली:- लगभग एक माह से उत्तराखंड ऊर्जा निगम बीवाइपीएल दिल्ली और सीईएससी कलकत्ता को बिजली लौटा रहा है। जबकि बीते एक जुलाई से हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम को भी बिजली लौटाई जा रही है। इससे पहले अप्रैल और मई में उत्तर प्रदेश ऊर्जा निगम को भी उधार की बिजली वापस कर दी गई है।
हालांकि, मई और जून में डिमांड आल टाइम रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई थी और उत्तराखंड ऊर्जा निगम को बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीद करनी पड़ी थी। लेकिन अब फिलहाल बिजली किल्लत जैसी कोई समस्या नहीं है।
बैंकिंग के तहत अन्य राज्यों को लौटाई जा रही बिजली:- जल विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन बढ़ा है और लगातार 20 मिलियन यूनिट या इससे अधिक बिजली पैदा हो रही है। वहीं, मांग भी 50 मिलियन यूनिट के आसपास आ गई है, जो कि बीते माह 60 मिलियन यूनिट से अधिक थी। ऐसे में रोजाना चार से पांच मिलियन यूनिट बिजली बैंकिंग के तहत अन्य राज्यों को लौटाई जा रही है। यह बिजली पिछली सर्दियों में उधार ली गई थी। अब आने वाली सर्दियों के लिए फिर से बैंकिंग के नए अनुबंध किए जाएंगे।
मांग के अनुरूप बैंकिंग की व्यवस्था को किया जाता है लागू:- ऊर्जा निगम के निदेशक परिचालन एमआर आर्या ने बताया कि मांग के अनुरूप बैंकिंग की व्यवस्था को लागू किया जाता है। अतिरिक्त बिजली होने पर अन्य राज्यों को लौटा दिया जाता है और आवश्यकता के समय उनसे बिजली ले ली जाती है। ऊर्जा निगम नवंबर से फरवरी तक बिजली उधार लेता है और जून या जुलाई से सितंबर तक यह बिजली लौटाई जाती है।
बैंकिंग के तहत प्रतिदिन वापस की जा रही बिजली:-
माह बीवाइपीएल दिल्ली सीईएससी कलकत्ता एचपीपीसीएल
जुलाई 86 मेगावाट 60 मेगवाट 50 मेगावाट
अगस्त 86 मेगावाट 60 मेगावाट 50 मेगावाट
सितंबर 90 मेगावाट 66 मेगावाट 51.50 मेगावाट